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कार्टोसैट-3 | अंतरिक्ष से दुश्मन पर नजर, हिन्दुस्तान की अंतरिक्ष वाली आंख


नई दिल्ली: बीते 27 नवंबर को PSLV-C47 रॉकेट ने स्वदेशी Cartosat-3 सैटेलाइट को 17 मिनट 38 सेकेंड में अपनी मंजिल तक पहुंचा दिया. हिंदुस्तान की ये ऐतिहासिक कामयाबी है. ये दुश्मनों पर नजर रखने की भारत की क्षमता में बड़ी सफलता है. इसलिए आज हम इसके बारे में विस्तार से बात करेंगे लेकिन पहले आप Cartosat-3 सैटेलाइट के बारे में कुछ बातें समझ लीजिए|


Cartosat-3 तीसरी पीढ़ी का यानी Third Generation Advanced Earth Observation Satellite है. इसे अंतरिक्ष में 509 किलोमीटर की ऊंचाई पर स्थापित किया गया है और 1625 किलोग्राम का ये सैटेलाइट अगले 5 वर्षों तक अंतरिक्ष में काम करता रहेगा| Cartosat Series के Satellite में State-Of-The-Art Camera लगा हुआ है. आसान शब्दों में कहें तो ये Satellite पृथ्वी की कक्षा में मौजूद एक High Tech कैमरे जैसा है जिसकी मदद से पृथ्वी की बेहद साफ तस्वीरें ली जा सकेंगी. 509 किलोमीटर की ऊंचाई से ये कैमरा 25 सेंटीमीटर आकार की वस्तुओं की साफ तस्वीर ले पाएगा. यानी कार्टोंसैट -3 सैकड़ों किलोमीटर दूर से कार के नंबर प्लेट की तस्वीर ले सकेगा|


अब 'मसूद', 'दाउद' और 'हाफिज़' कहां भागेंगे? हिंदुस्तान के दुश्मनों की अब खैर नहीं. उनकी मौत उन पर 24 घंटे 365 दिन नजर रखेगी. उनकी एक हिमाकत और जिंदगी से महरूम हो जाएंगे. हिंदुस्तान को ये ताकत इसरो ने बख्शी है. ISRO चेयरमैन के सिवन ने कहा, "मैं बहुत खुश हूं कि PSLV-C47 रॉकेट ने Cartosat 3 सहित 13 अन्य सैटेलाइट्स को पृथ्वी की कक्षा में सफलतापूर्वक 509 किलोमीटर की ऊंचाई पर स्थापित कर दिया है. इस मिशन के पूरा होने के बाद आप पूछेंगे कि हमारा अगला प्रोजेक्ट क्या होगा? हमारा काम एकदम आसान है, मार्च 2020 तक हम एक के बाद एक 13 मिशन लॉन्च करेंगे. इनमें 6 बड़े मिशन और 7 सैटेलाइट लॉन्च करने वाले मिशन हैं. हमेशा की तरह टीम इसरो अपनी चुनौतियों का सामना करेगी और हरेक मिशन की शानदार सफलता को सुनिश्चित करेगी|"


इसरो ने जिस सैटेलाइट का सफल प्रक्षेपण किया है. उसका नाम है कार्टोसैट 3. नाम भले ही अलग है लेकिन काम यमराज वाला है. ये दुश्मनों की शामत ही नहीं लाएगा बल्कि उन्हें जहन्नुम पहुंचाने का जरिया भी बनेगा. इसकी खूबियां ऐसी हैं जो अमेरिका रूस जैसे देशों को भी मात देती है|


1625 किलो वज़न वाला कार्टोसैट 3 उपग्रह इस श्रेणी के पिछले सभी उपग्रहों से भारी है. इसमें आधुनिक कंप्यूटर सिस्टम का इस्तेमाल किया गया है जिससे डेटा का ट्रांसमिशन बहुत तेज़ गति से होगा. कार्टोसैट कैमरे की एक खूबी इसका लचीला होना भी है यानी ये आगे पीछे अगल बगल किसी भी तरफ मोड़ा जा सकेगा. फिलहाल अमेरिकी कंपनी मैक्सर का वर्ल्ड व्यू 3 सैटेलाइट का कैमरा सबसे ताकतवर माना जाता है जो 31 सेमी तक की तस्वीर ले सकता है जबकि कार्टोसैट 3 का कैमरा 25 सेमी तक|


माना जाता है कि कार्टोसैट 2 सीरीज़ के उपग्रह का इस्तेमाल सितंबर 2016 में एलओसी के पार पाकिस्तान में सर्जिकल स्ट्राइक करने में किया गया था. इससे पहले जून 2015 में मणिपुर मयांमार सीमा पर सेना की कार्रवाई में भी कार्टोसैट से भेजी गई तस्वीरों से ऑपरेशन को अंजाम दिया गया था. कार्टोसैट से भेजी तस्वीरों से आतंकी कैंपों की सटीक लोकेशन मिली जिससे हमला भी बिल्कुल सटीक रहा. इस सीरीज के उपग्रहों को सीमाओं की निगरानी और घुसपैठ रोकने के लिए 26/11 मुंबई हमलों के बाद विकसित किया गया था. पहले कार्टोसैट 3 को 25 नवंबर को लॉन्च करना था लेकिन कुछ वजहों से इसे दो दिन टाल दिया गया|


कार्टोसैट सीरीज का पहला सैटेलाइट कार्टोसैट-1 पांच मई 2005 को पहली बार लॉन्च किया गया था. पीएसएलवी की ये 74वीं उड़ान थी. अंतरिक्ष में भारत की धाक जमाने के लिए इसरो कई मिशन पर काम कर रहा है जो आने वाले समय में पूरे होने वाले हैं. इसरो दो और सर्विलांस सैटेलाइट- रीसैट-2बीआर1 और रीसैट-2बीआर2 को पीएसएलवी सी48 और सी49 रॉकेट से दिसंबर में लॉन्च करेगा. इससे पहले इसरो ने 22 मई को सर्विलांस सैटेलाइट रीसैट-2बी और एक अप्रैल को इलेक्ट्रॉनिक इंटेलिजेंस सैटेलाइट एमिसैट को लॉन्च किया था...कार्टोसैट के लॉन्च के साथ ही अंतरिक्ष में इसरो ने एक और लंबी छलांग लगाई है|

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